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प्रश्न और उत्तर :
पाठ से:
1. साइकिल चलाने के बारे में लेखक की क्या धारणा थी ? क्या यह धारणा सही थी ? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।
उत्तर -साइकिल चलाने के बारे में लेखकर की धारणा थी, कि इससे समय की बचत होती है पर वह कभी इसे चलाना नहीं सीख लखक की यह धारणा गलत थी कि वह कभी साइकिल चलाना नहीं सीख सकता। यदि कोई धैर्यपूर्वक लगा रहे तो वह अवश्य साइकिल चलाना सीख सकता है ।2. लेखक ने साइकिल सीखने के लिए कौन-कौन सी तैयारियों की ?
उत्तर- लेखक ने साइकिल सीखने के लिए पहले तो अपने फटे-पुराने कपड़े तलाश कर अपनी श्रीमती से उनकी मरम्मत करने को दिया । ताकि साइकिल चलाना सीखते समय गिरने पर उनके नये कपड़े न फटे, फटे तो पुराने कपड़े। फिर लेखक ने बाजार जाकर जंबक के दो डिब्बे खरीद लिए कि चोट लगने पर उसका उसी समय इलाज किया जा सके ।
3. लेखक के झूठ की पोल कैसे खुल गयी ?
उत्तर- लेखक ने अपनी श्रीमती से झूठ बोला कि तिवारी जी यानी उस्ताद के कारण उसकी साइकिल ताँगे से टकरा गयी थी और वह बेहोश हो गया था। पर उसकी झूठ की पोल तब खुल गयी जब उसकी श्रीमती ने कहा कि ताँगे पर वह स्वयं बच्चों के साथ
बैठी थी। वह लेखक की साइकिल सवारी ही देखने को निकली थी । इस प्रकार लेखक के भूठ की पोल खुल गयी।
4. किसने किससे कहा
(क) “कितने दिन में सिखा देगा ।"
(ख) "नहीं सिखाया तो फीस लौटा देंगे।"
(ग) “मुझे तो आशा नहीं कि आपसे यह बेल मत्ये
चढ़ सके ।”
(घ) “हम शहर के पास नहीं सीखेंगे। लारेंसबाग में जो मैदान है वहाँ सीखेंगे।"
उत्तर-(क) लेखक ने कहा ।
(ख) उस्ताद ने कहा ।
(ग) लेखक की श्रीमती ने कहा ।
(घ) लेखक ने कहा ।
(ख) "नहीं सिखाया तो फीस लौटा देंगे।"
(ग) “मुझे तो आशा नहीं कि आपसे यह बेल मत्ये चढ़ सके ।”
(घ) “हम शहर के पास नहीं सीखेंगे। लारेंसबाग में जो मैदान है वहाँ सीखेंगे।"
(ख) उस्ताद ने कहा ।
(ग) लेखक की श्रीमती ने कहा ।
(घ) लेखक ने कहा ।