Chapter 18

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प्रश्न- अभ्यास : प्रश्नोत्तर

पाठ से:

1. हुएनत्सांग भारत क्यों आना चाहते थे ?

उत्तर - हुएनत्सांग बुद्ध की भूमि भारत आना चाहते थे यहाँ के नालंदा महाविद्यालय में बौद्ध धर्म का अध्ययन करने के लिए वे बुद्ध की इस पावन धरती का स्वयं भ्रमण कर इसकी धरती को चूमना और नमन करना चाहते थे ।

2. भारत आने में हुएनत्सांग को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?

भारत आने में हुएनत्सांग को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें अत्यंत तेज धार वाली हु-लु नदी को पार करना पड़ा। चीन सरकार ने भारत यात्रा पर रोक लगाया था। उन्हें पांच सिग्नल टावर पर तैनात प्रहरियों से नजरें बचाकर आगे बढ़ना पड़ा। फिर उन्हें मौ-हौ-यैन नामक रेगिस्तान को भी पार करना पड़ा।

3. हुएनत्सांग और शीलभद्र के मिलन का वर्णन

हुएनत्सांग और शीलभद्र जब मिले तो दोनों अत्यनत ही भावुक हो उठे। हुएनत्सांग ने घुटनों के बल बैठकर श्रद्धापूर्वक वृद्ध भिक्षु के चरणों का चुम्बन किया और भूमि पर सिर रख दिया। फिर वह खड़ा होकर नम्रता से बोला “मैंने आपके निर्देश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए चीन से यहाँ तक की यात्रा की है। मैं प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे अपना शिष्य बनाएँ।" इन शब्दों को सुनकर शीलभद्र की आँखें भर आयीं। उन्होंने शीलभद्र से कहा कि उनका गुरु-शिष्य का संबंध देव निर्धारित है। इस घटना को उन्होंने पूर्व में ही स्वप्न में देखा था और उन्हें इस घड़ी का बेसब्री से इंतजार था। और प्रेमपूर्वक शीलभद्र ने हुएनत्सांग को अपना शि लिया।

4. नालंदा का वर्णन हुएनत्सांग ने किन शब्दों में किया ?

नांलदा का वर्णन करते हुए हुएनत्सांग ने लिखा है— नालंदा के मठ के चारों ओर ईंटों की दीवार थी। एक द्वार महाविद्यालय के रास्ते में खुलता था। वहाँ आठ बड़े कक्ष थे। भवन कलात्मक और बुजों से सज्जित था । वेधशालाएँ सुबह के कुहासे में छिप जाती थीं और ऊपरी कमरे बादलों में खोए से प्रतीत होते थे। मठ की सुंदरता से प्रभावित हो वे आगे लिखते हैं-खिड़कियों से झांकने पर दिखाई देता है कि हवा के साथ मिलकर बादल किस प्रकार अठखेलियाँ करते और नयी-नयी आकृतियाँ बनाते थे । वृक्ष के पत्तों पर सूरज और चाँद की रश्मियाँ झिलमिलाती थीं। तालाबों के नीचे स्वच्छ पानी पर नील कमल खिलते थे तथा साथ में ही रक्ताभ पलाश के फूल झूमते रहते। पड़ोस के आम्र-कुंजों के आम के बौर की भीनी-भीनी खुशबू वायु में तैरती रहती थी।