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सारांश
मदर टेरेसा एक महान आत्मा थी। वह एक महान संत थी । लोगों के अत्यंत दयनीय स्थिति व चरम गरीबी से द्रवित हो उन्होंने अत्यंत कम उम्र में ही अपनी कॉन्वेन्ट स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और खुद को मानवता की सेवा हेतु पूर्णतः समर्पित कर दिया। छोटी उम्र में ही उन्होंने नन बनने की शपथ ले ली थी। जरूरतमंदों- अपाहिजों -दरिद्रनारायण की सेवा हेतु उन्होंने कई मिशनरियां चलाईं। उन्हें कई राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। उनकी मृत्यु पर उन्हें आखिरी विदाई ससम्मान देने हेतु भारत सरकार ने उनकी राजकीय अंत्येष्टि की।