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सारांश
इवान और गैब्रियल पडोसी थे। वे रूस देश के एक गाँव में रहते थे। वे अच्छे पड़ोसी थे। एक दिन इवान की एक मुर्गी ने गैब्रियल के घर में एक अंडा दे दिया जिसकी पूछताछ होने पर दोनों पड़ोसियों के बीच झगड़ा बढ़ गया। बात अदालत जा पहुँची। मुकदमा लंबा खिंचा। दोनों पड़ोसी पैसे से तबाह हो गये । इवान का बूढ़ा बाप बुद्धिमान था। उसने दोनों पड़ोसियों को समझाया कि नफरत से नफरत ही बढ़ती है जिससे विनाश ही होता है। बात दोनों पड़ोसियों की समझ में आ गयी। एक बार फिर से दोनों परिवारों के बीच एकता हो गयी। दोनों फिर शांति से जीवन व्यतीत करने लगे।